शेर और ब्राह्मन
एक गांव के नजदीक एक घना जंगल था। उस घने जंगल में एक शेर रहता था। शेर रोज गांव में जाकर गांव वालों की बकरियां, मुर्गी आदि को मार कर खा जाता था। शेर के ऐसा करने पर गांव वाले बहुत परेसान थे।
शेर से छुटकारा पाने के लिए गांव वालों ने एक पिंजरा बनवाया और उस पिंजरे को जहाँ से शेर आताथा उस रास्ते में रख दिया। जब शेर रात को अँधेरे में गांव की तरफ जारहा था तो गलती से पिंजरे के अन्दर चला गाया। शेर के भार से पिंजरे का दरवाजा अपने आप बंद हो गाया। शेर बहुत चिल्लाया पर वहां उसकी सुन ने वाला कोई नहीं था।
काफी देर बाद एक ब्राह्मन वहां से किसी दूसरे गांव में पूजा करने जा रहा था। रास्ते में शेर को देख कर डर गाया।जैसे ही वह वापस होने लगा, शेर ने बहुत मासूमियत में गिडगिडाते हुए ब्राह्मन से कहा में काफी देर से इस पिंजरे में बंद हूँ, कृपा करके मुझे बाहर निकाल दीजिए, मैं आप का अहसान मंद रहूँगा।
शेर के गिडगिडाने पर ब्राह्मन को शेर पर दया आ गई। ब्राह्मन ने दरवाजा खोल दिया। शेर बाहर आते ही ब्राह्मन पर झपट पड़ा। शेर ने कहा मैं तुझे खा जाउंगा।
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ब्राह्मन शेर के आगे गिडगिडाने लगा तो ऊपर पेड़ पर बैठा एक बन्दर जो इनकी सारी बातें सुनरहा था बोला, ब्राह्मन देव क्या बात हो गाई है। इस पर ब्राह्मन ने बन्दर को सारी बात बतादी।
बन्दर ने कहा ब्राह्मन देव क्या बात करते हो भला जंगल का राजा शेर इतना ताकतवर होते हुए इस चूहे के पिंजरे में कैसे आ सकता है। शेर को अपनी बेइज्जती होती दिखी तो शेर बोला, यह ठीक बोल रहा है में काफी देर से इस पिंजरे में था अगर यकीन नहीं होता है तो में फिर से पिंजरे में जाकर दिखा देता हूँ।
बन्दर ने कहा पिंजरे में घुस कर तो दिखाओ में भी देखता हूँ आप कैसे इस पिंजरे में आते हैं। जैसे ही शेर दुबारा पिंजरे मे गाया पिंजरे का दरवाजा फिर से शेर के भार से बंद हो गाया। बन्दर ने ब्राह्मन से कहा ब्राह्मन देव अपनी जान बचाइए और भाग लीजिए। ब्राह्मन ने बन्दर का धन्यवाद किया और वहां से भाग लिया। इस तरह एक बन्दर ने अपनी चतुराई से एक ब्राह्मन की जान बचा ली।
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