चिड़िया का संघर्ष
एक बार की बात है कि दूर एक घने जंगल में पीपल का एक वृक्ष था। उस पेड़ पर एक चिड़िया और उसके बच्चे रहते थे। एक दिन वो रोज़ की तरह भोजन की तलाश में निकली। फिर कहीं न कहीं से वो अपने बच्चों के लिए कुछ दाने लेकर आयी। उस पीपल के पेड़ में एक बड़ा सा छेद था। और भोजन के दाने उसमे गिर गए। फिर चिड़िया ने पीपल से रोते हुए कहा कि उसे उसके दाने वापस कर दे , उसके बच्चे भूखे हैं। पर पीपल ने दाने देने से मना कर दिया।
फिर चिड़िया गुस्से में उड़ती - उड़ती आग के पास गयी और उसे कहा कि, "आग !आग ! तू पीपल को जला दे।" पर आग ने पीपल को जलाने से मना कर दिया।
वहाँ से निराश होकर फिर वो पानी के पास गयी और उसे कहा कि, "पानी ! पानी ! तू आग को बुझा दे।" पर पानी ने भी आग बुझाने से मन कर दिया।
फिर चिड़िया उड़ते - उड़ते हाथी के पास गयी और उसे कहा कि, "हाथी ! हाथी ! तू पानी को पी जा।" पर हाथी ने भी पानी पीने से मना कर दिया।
वहां से भी निराश होकर वो रस्सी के पास पहुंची और उसे कहा कि, "रस्सी ! रस्सी ! तू हाथी को बांध दे।" पर रस्सी ने भी इंकार कर दिया।
वो वहां से फिर चल पड़ी और उड़ते - उड़ते चूहे के पास पहुंची और उससे कहा कि, "चूहे ! चूहे ! तुम रस्सी को काट दो।" पर चूहे से भी उसे निराशा हाथ लगी।
फिर वो उड़ते - उड़ते बिल्ली के पास पहुंची और उसे कहा कि, "बिल्ली ! बिल्ली ! तू चूहे को खा जा।" अब भाई बिल्ली तो भूखी थी और चूहे को खाने के लिए वो मान गयी।
अब चूहा घबरा गया और डर के मारे रस्सी काटने को तैयार हो गया। रस्सी घबरा के हाथी को बांधने चली,हाथी घबरा के पानी पीने चला,पानी घबरा के आग बुझाने चला,आग घबरा के पीपल को जलाने चली और पीपल ने डर के दाना दे दिया।
फिर चिड़िया दाना लेकर हंसी - ख़ुशी अपने बच्चों के पास गयी और उन्हें भोजन खिलाया।
शिक्षा :-इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। हमारी ज़िन्दगी में भी हमारा बहुत सारी असफलताओं से सामना होगा, पर हमें हार नहीं माननी चाहिए, बस कोशिश करते रहना चाहिए,क्यूँकि एक न एक दिन हमें जीत जरूर मिलेगी।
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