बहुत देर पहले की बात है बिलासपुर नामक एक गाँव में राम,जय और किशन नाम के तीन भाई रहते थे। उन तीनों में बिलकुल भी नहीं बनती थी। बचपन में ही उनके पिता का देहांत हो गया था। घर में एक बूढ़ी माँ थी जो खेतीबाड़ी संभालती और वे तीनों अपनी माँ की सहायता भी करते।
एक दिन उनकी माँ बीमार हो गयी। माँ ने अपने बेटों को बुलाकर कहा कि अब उन्हें लगता है कि उनके पास बहुत कम दिन बचे हैं , इस लिए उनकी आखरी इच्छा है कि तुम सब एक साथ एक अच्छे से पत्थर के घर में रहो,इस झोंपड़ी में नहीं।माँ की ये बात सुन कर सब चिंतित हो जाते हैं। तभी राम कहता है कि ठीक है माँ ,हम सब मिल कर रहने के लिए एक पत्थर का घर बना लेंगे। ये सुनकर उनकी माँ को थोड़ी संतुष्टि मिलती है।
जब राम बाहर आता है तो उसके दूसरे भाई उससे झगड़ने लगते हैं कि हम भला एक साथ कैसे रह सकते हैं,तुमने माँ से झूठ क्यों बोला। राम ये कह के बात को टाल देता है हम ये सब बाद में देख लेंगे।
कुछ ही दिनों में उनकी माँ का भी देहांत हो जाता है। तीनो भाई आपस में सारी पूँजी बाँट लेते हैं और अपने अपने रास्ते चल देते हैं।
जय सोचता है कि वो इस पूँजी से बांस और भूंसे का घर बनाएगा ,जो कि जल्दी बन जायेगा और बाकी बचे पैसों से वो अपना जरुरत का सामान ले आएगा। अपना घर बनाने के लिए वो सामग्री लेने चला जाता है।
दूसरी तरफ किशन लकड़ी का घर बनाने की सोचता हैऔर किसी लकड़हारे से अपना घर बनाने के लिए लकड़ियां खरीद कर लाता है।
जय अपना अपना घर वैसा ही बनाना चाहता है जैसा माँ चाहती थी। वह पत्थर का घर बनाने की सोचता है और इसके लिए जरुरत की सारी सामग्री इकठ्ठा करने लग जाता है। उसकी साड़ी पूँजी इसी में लग जाती है।
कुछ दिनों बाद तीनो के घर बन कर तैयार हो जाते हैं। सब अपने-अपने घर में हंसी-ख़ुशी रह रहे होते हैं कि अचानक एक दिन एक भयानक तूफ़ान आता है और अपने साथ उस बांस और भूंसे से बने घर को उड़ा ले जाता है। किशन के लकड़ी के घर को भी वो तहस-नहस कर देता है। दोनों भागते हुए राम के घर आते हैंऔर माफ़ी मांगते हैं। राम उन्हें अपने घर में पनाह देता है और उन्हें माफ़ भी कर देता है।
अब जैसा कि माँ चाहती थी तीनो वैसे ही मिल जुल कर एक घर में रहने लगे और खेतीबाड़ी संभालने लगे।
शिक्षा :-हमें हर काम समझदारी के साथ करना चाहिए क्यूँकि जल्दबाज़ी में किये हुए काम हमेशा ग़लत होते हैं।
एक दिन उनकी माँ बीमार हो गयी। माँ ने अपने बेटों को बुलाकर कहा कि अब उन्हें लगता है कि उनके पास बहुत कम दिन बचे हैं , इस लिए उनकी आखरी इच्छा है कि तुम सब एक साथ एक अच्छे से पत्थर के घर में रहो,इस झोंपड़ी में नहीं।माँ की ये बात सुन कर सब चिंतित हो जाते हैं। तभी राम कहता है कि ठीक है माँ ,हम सब मिल कर रहने के लिए एक पत्थर का घर बना लेंगे। ये सुनकर उनकी माँ को थोड़ी संतुष्टि मिलती है।
जब राम बाहर आता है तो उसके दूसरे भाई उससे झगड़ने लगते हैं कि हम भला एक साथ कैसे रह सकते हैं,तुमने माँ से झूठ क्यों बोला। राम ये कह के बात को टाल देता है हम ये सब बाद में देख लेंगे।
कुछ ही दिनों में उनकी माँ का भी देहांत हो जाता है। तीनो भाई आपस में सारी पूँजी बाँट लेते हैं और अपने अपने रास्ते चल देते हैं।
जय सोचता है कि वो इस पूँजी से बांस और भूंसे का घर बनाएगा ,जो कि जल्दी बन जायेगा और बाकी बचे पैसों से वो अपना जरुरत का सामान ले आएगा। अपना घर बनाने के लिए वो सामग्री लेने चला जाता है।
दूसरी तरफ किशन लकड़ी का घर बनाने की सोचता हैऔर किसी लकड़हारे से अपना घर बनाने के लिए लकड़ियां खरीद कर लाता है।
जय अपना अपना घर वैसा ही बनाना चाहता है जैसा माँ चाहती थी। वह पत्थर का घर बनाने की सोचता है और इसके लिए जरुरत की सारी सामग्री इकठ्ठा करने लग जाता है। उसकी साड़ी पूँजी इसी में लग जाती है।
कुछ दिनों बाद तीनो के घर बन कर तैयार हो जाते हैं। सब अपने-अपने घर में हंसी-ख़ुशी रह रहे होते हैं कि अचानक एक दिन एक भयानक तूफ़ान आता है और अपने साथ उस बांस और भूंसे से बने घर को उड़ा ले जाता है। किशन के लकड़ी के घर को भी वो तहस-नहस कर देता है। दोनों भागते हुए राम के घर आते हैंऔर माफ़ी मांगते हैं। राम उन्हें अपने घर में पनाह देता है और उन्हें माफ़ भी कर देता है।
अब जैसा कि माँ चाहती थी तीनो वैसे ही मिल जुल कर एक घर में रहने लगे और खेतीबाड़ी संभालने लगे।
शिक्षा :-हमें हर काम समझदारी के साथ करना चाहिए क्यूँकि जल्दबाज़ी में किये हुए काम हमेशा ग़लत होते हैं।
good story ,"jaldi ka kaam saitan ka"-ye v keh sakte hai.
ReplyDeleteThank u.
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