जादूई फल
एक बार की बात है एक गाँव में राजू नाम का एक आदमी रहता था। वो बहुत ही गरीब था। उसके पास रहने के लिए खुद का घर भी नहीं था। वो एक पेड़ के नीचे रहता था और उसी के फल खाकर अपना पेट भरता था। एक दिन वहां एक लकड़हारा आया और उस पेड़ को काटने लगा। राजू घबरा गया। उसने उस लकड़हारे से बहुत कहा की इस पेड़ को मत काटो। लेकिन उस लकड़हारे ने एक न सुनी।
फिर राजू गाँव के कुछ लोगों को बुला लाया। उनमे से एक आदमी ने कहा, "तुम इस पेड़ को नहीं काट सकते ,ये पेड़ हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। " और फिर बाकी के लोग भी मिलकर लकड़हारे का विरोध करने लगे। लकड़हारा उनके सामने हार गया और वहां से चला गया।
पेड़ ये सब कुछ देख रहा था। जब सब लोग वहां से चले गए तो राजू को उसके नाम से पुकारने की आवाज़ सुनाई दी। राजू ने इधर - उधर देखा पर वहां उसे कोई नज़र न आया। फिर राजू ने ध्यान लगाकर सुना तो वो आवाज़ पेड़ में से आ रही थी।
पेड़ ने राजू से कहा,"आज तुमने मेरी जान बचाई है। मैं जनता हूँ कि तुम बहुत गरीब हो। मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ। तुम रोज़ इस पेड़ से एक फल तोड़ कर खाना और खाते वक़्त अपनी कोई भी इच्छा को बोलना। लेकिन याद रहे एक दिन में सिर्फ एक ही फल तोड़ना। "
राजू ये सुन कर बहुत खुश हुआ। वो रोज़ एक फल तोड़ कर खाता और अपनी इच्छा मांगता। उसकी हालत सुधरने लगी थी। देखते हे देखते वो अमीर हो गया। फिर उसने एक दिन सोचा कि अगर मैं एक फल खाकर इतना धनवान बन सकता हूँ तो अगर मैं सारे फल एक ही दिन खा लूँ तो क्या होगा।
वो पेड़ के पास गया और उसके सारे फल खाके इच्छा मांगने लगा। पर उसकी कोई भी इच्छा पूरी न हुई। राजू को बहुत गुस्सा आया और फिर वो पेड़ को बुरा - भला कहने लगा कि "मैंने तुम्हारी जान बचाई और तुमने मुझे धोखा दिया।"
तभी पेड़ उसे याद दिलाते हुए बोला, "मैंने तुमसे कहा था कि एक दिन में केवल एक ही फल तोड़ना। पर तुमने लालच में आकर सारे फल तोड़ लिए। जो भी हुआ है केवल तुम्हारी गलती की वजह से हुआ है "
राजू बहुत शर्मिंदा हुआ और उसे अपने किये पर पछतावा हो रहा था।
शिक्षा :- लालच इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है। हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। हमें जो मिला है उसी में खुश रहना चाहिए।
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