परमात्मा जो करता है,अच्छा ही करता है।
बहुत समय की बात है एक दिन मन्दिर का एक सफाई सेवक अपनी ज़िन्दगी से तंग आकर भगवान् जी को कहता है कि, "भगवान् जी, क्यों न हम एक दिन के लिए अपना role-reversal कर लें। आप एक दिन आम इन्सान की ज़िन्दगी गुज़ार के तो देखो।और मैं एक दिन आप की जगह पर बस मूर्ति बन के खड़ा रहूँगा।"
इतने में भगवान् बोल पड़े, "ठीक है, पर मेरी एक शर्त है कि यहाँ भले तुम्हे कोई दुःख सुनाये , या सुख सुनाये , तुम्हे किसी को कुछ भी बोलना नहीं है, बस चुप कर के खड़े रहना है।" वो सेवक मान जाता है और फिर भगवान् जी वहां से चले जाते हैं घूमने - फिरने।
अब वहां सबसे पहला भक्त आता है जो कि एक Businessman है और काफ़ी अमीर होता है।वो भगवान से अपनी मंनत माँगता है कि उसका काम और बढे और वो खूब तरक्की करे। फिर वापस जाते वक़्त उसका पर्स वहां गिर जाता है। भगवान् के रूप में उस सेवक का बहुत मन करता है कि वो उसे ये बता दे कि उसका पर्स गिर गया है पर फिर उसे भगवान् जी की बात याद आती है और वो चुप रहता है।
इतने में दूसरा भक्त आता है जो कि बहुत ही गरीब होता है। एक रुपया चढ़ा कर , माथा टेक कर जब वो वापस जाने लगता है तो उसकी नज़र उस पर्स पर जाती है। वो उसे उठा लेता है और बहुत खुश होता है। ये देखकर भगवान् रुपी उस सेवक को बहुत गुस्सा आता है। पर वो फिर भी चुप रहता है।
इतने में तीसरा भक्त आता है। वो भगवान् जी का धन्यवाद करता है क्यूंकि शहर में उसे एक बहुत अच्छा काम मिलता है और उस काम के लिए उसे नाँव से समुद्र पार करके जाना होगा।
फिर वहां सबसे पहला भक्त अपने साथ पुलिस लेकर वापस आता है और वहां इस तीसरे भक्त को निकलते देख इस पर इल्ज़ाम लगाता है कि मेरे बाद यही यहाँ आया होगा और इसी ने मेरा पर्स भी चुराया होगा। पुलिस उसे पकड़ कर ले जाने लगती है। भगवान् रुपी उस सेवक से ये सब देखा नहीं जाता और वो बोल पड़ता है कि पर्स इसने नहीं किसी और ने चुराया है। ये बेक़सूर है।
ये सुन कर पुलिस वाले उसे छोड़ देते हैं और दूसरे भक्त को पकड़ लेते हैं। इतने में भगवान् जी वहां वापस आते हैं और उनके रूप में उस सेवक से कहते हैं कि, "तुमने ये क्या किया , मैंने तुम्हे बोलने से मना किया था। वो जो पहला Businessman आया था , उसके पास सारा धन बेईमानी का था। अगर उसका कुछ हिस्सा उस गरीब को मिल जाता तो उस Businessman का कुछ कर्मा कम हो जाता, उसका धन किसी पुण्य काम में लग जाता और उस गरीब को खाने को दो वक़्त की रोटी मिल जाती। और जो तीसरा भक्त आया था , वो जिस समुद्र से गुज़र के जाने वाला है उसमे बहुत ही भयानक तूफ़ान आने वाला है जिससे उसका बचना नामुमकिन है। अगर वो आज जेल में होता तो अपनी जान गँवाने से बच जाता।"
इसलिए दोस्तों , भगवान् पर भरोसा रखो , वो जो भी करता है हमारे अच्छे के लिए ही करता है। उसकी Planning हमारी सोच से भी परे है। हमारी ज़िन्दगी में जो भी होता है , उसकी कोई न कोई वजह जरूर होती है। हर negative situation में कुछ positive जरूर होता है,बस जरुरत है तो उन हालातों के प्रति अपना नजरिया बदलने की।
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