बन्दर और मगरमच्छ
एक दिन मगरमच्छ अपनी घरवाली के लिए भी जामुन ले के जाता है। जामुन बहुत ही मीठे थे और उसे बहुत पसंद आये। उसकी घरवाली ने ललचाते हुए मगरमच्छ से कहा कि अगर उस पेड़ के जामुन इतने मीठे हैं तो रोज़ जामुन खाने वाले उस बन्दर का दिल कितने मीठा होगा। मुझे किसी भी हाल में उस बन्दर का दिल चाहिए।
मगरमच्छ सोच में पड़ गया कि बन्दर तो उसका बहुत अच्छा दोस्त है,वो उसके साथ धोखा कैसे कर सकता है। पर उसकी घरवाली ने उसके मन में इतना लालच भर दिया कि वो मान गया।
मगरमच्छ वहां से निकल पड़ता है। बन्दर के पास पहुँचने पर वो उसे कहता है कि तुम्हारे दिए हुए जामुन उसकी घरवाली को बहुत पसंद आये, इसलिए वो तुमसे एक बार मिलना चाहती है। अब बन्दर तो मगरमच्छ पर बहुत भरोसा करता था इस लिए वो मान गया।
बन्दर लपक कर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। कुछ दूर जाने पर जब वो नदी के बीचों-बीच पहुँचते हैं तो मगरमच्छ ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगता है। वो उसे सब बताता है कि उसकी घरवाली उस से मिलना नहीं चाहती बल्कि उसका दिल खाना चाहती है। बन्दर उनकी चाल समझ जाता है और अपना दिमाग दौड़ाता है।
बन्दर मगरमच्छ से चिंतित हुआ कहता है कि अगर ये बात थी तो उसे पहले ही बतानी चाहिए थी क्यूँकि अपना दिल तो वो जामुन के पेड़ पर ही छोड़ आया है। अब मगरमच्छ सोच में पड़ जाता है। तब बन्दर उसे वापस पेड़ के पास चलने को कहता है कि हम दिल तो वहीं भूल आये ,चलो उसे लेकर आते हैं।
मगरमच्छ मान जाता है और वो वापस पेड़ की ओर चल पड़ते हैं। पेड़ के पास पहुँचते ही बन्दर छलांग लगा कर पेड़ पर चढ़ जाता है और उसे ठेंगा दिखाते हुए दोस्ती का ताना मारता है। मगरमच्छ उसका मुँह ताकते रह जाता है और बहुत पछताता है।
शिक्षा :- हमे ज़िन्दगी में कभी भी किसी के भरोसे का फायदा नहीं उठाना चाहिए। क्यूंकि किसी का भरोसा कमाना बहुत मुश्किल है और गंवाना बहुत आसान।
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