अच्छी बात
रायपुर नामक एक राज्य था जिसका पालन विक्रम नामक एक राजा करता था। राजा ने खुद राज्य में पर्यटन करके अपने प्रजा की हाल - चाल जानने की सोची। घोड़े पर सवार होकर राजा पूरे राज्य में घूम कर अपनी प्रजा से मिला। लेकिन सभी थोड़ा सा सुख और थोड़ा सा दुःख सहने वाले ही मिले। राजा को ऐसे लोग नहीं मिले जो पूरी तरह से सुख - शान्ति से रह रहे हों।
घोड़े पर सवार होकर जाते वक़्त वो रास्ते में एक गाँव से गुज़रे। वहां उन्होंने एक बूढ़े व्यक्ति को काम करते देखा। कड़ी धूप में भी वो बूढ़ा आदमी अपना काम कर रहा था। वो आदमी अपना काम करने में इतना मगन हो गया था कि उसे राजा के आने का पता ही नहीं चला।
राजा ने उस बूढ़े को पुकारा और पूछा कि, "आप कौन हैं दादा जी, इतनी कड़ी धूप में भी काम कर रहे हैं।" राजा को अपने इतने पास देख कर वो बूढ़ा चकित हो गया। फिर उस बूढ़े व्यक्ति ने राजा से कहा कि, "मैं यहाँ आम की गुठली बोने के लिए ज़मीन खोद रहा हूँ।"
फिर राजा बूढ़े से पूछते हैं कि , "इस गुठली को पौधा बनने में, इस पौधे के पेड़ बनने में और इस पेड़ में आम लगने में कितना वक़्त लगेगा।" इस पर उस बूढ़े ने कहा कि कम से कम पांच साल लगेंगे हुज़ूर।
राजा ने तब ऐसा कहा, "आप के उपयोग में न आने वाला काम आप क्यों कर रहे हैं। इस पौधे के पेड़ बनने में और उस पे आम उगने में बहुत वक़्त लग जायेगा। तब तक न जाने आप जीवित रहेंगे या नहीं।"
राजा की ये बात सुन कर वो बूढ़ा अादमी हंसने लगा और बोला, "महाराज , मैं ये बीज अपने लिए नहीं बो रहा। ये मेरे बाद आने वाले वंश के लिए है, मेरे बेटे, मेरे पोतों के लिए है। अगर हमारे पूर्वज भी यही सोचते तो आज हमे आम खाने को नहीं मिलते। हमारे पूर्वजों ने हमारे बारे में सोच कर उन्होंने हमारे लिए ये सब किया।"
उस बूढ़े की बातों से राजा बहुत संतुष्ट हुआ। उस बूढ़े की बहुत प्रशंसा की और उसे इनाम भी दिया। उस दिन राजा ने एक अच्छी बात जानी कि हमे सिर्फ अपने बारे में ही नहीं बल्कि दूसरों के बारे में भी सोचना चाहिए। निस्वार्थ सेवा से मनुष्य को आनंद और सुकून मिलता है।
राजा एक अच्छी बात जानकार बहुत संतुष्ट होकर वापस राज महल की और निकल पड़े और वो बूढ़ा वापस फिर से अपने काम में जुट गया।
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