DREAMS - सपने कौन नहीं देखता ,पर पूरे सिर्फ़ वही लोग करते हैं जिनमें कुछ कर दिखाने का जज़्बा हो ,और जो अपने dreams को लेकर dedicated हो। अपने सपनों को पूरा करने के लिए बहुत सारे failures, बहुत सारे disappointments का सामना करना पड़ता है ,और वही हमारी परीक्षा की घड़ी होती है। कई लोग यही सोच के give up कर देते हैं कि यार ! ये तो मेरे बस का ही नहीं है।
बचपन में हम सब को सिखाया जाता है कि ज़िद नहीं करनी चाहिए क्यूँकि उस वक़्त हम नादान होते हैं। पर बड़े होने पर इस ज़िद का मतलब बदल जाता है ,और अगर वो ज़िद सही दिशा में हो तो हम दुनिया बदल सकते हैं।
सपने सिर्फ देखने के लिए नहीं होते ,उन्हें पाने के लिए दिल से ढृढ़-निश्चय जरुरत होती है,विश्वास रखो खुद पर कि हाँ ! मैं ये कर सकता हूँ। दिखा दो इस दुनिया को कि तुम्हारा भी कोई वजूद है।
अपने अंदर एक ज़िद पैदा करो कुछ करने की ,कुछ पाने की भूख जगाओ खुद में। अपनी ज़िद से इंसान वो कर सकता है जो लोगों को असंभव लगता है ,पागलपन लगता है। ज़िद्दी लोगों ने ही इस दुनिया को ग़लत साबित कर ऐसे कारनामों को अंजाम दिया जो उन्हें असंभव लगते थे। अब्दुल कलम ,सचिन तेंदुलकर,दशरथ माँझी ,मैरी कॉम ,शहीद भगत सिंह ,ये उन लोगों के नाम हैं जिन्होंने अपनी ज़िद से इतिहास रच दिया।
ये ज़िद हर इंसान में होती है ,बस जरुरत है तो अपने comfort zone बाहर आने की। ज़िद करो अपनी आराम की ज़िन्दगी से बहार आने की अपने आप से लड़ने की। ज़िद करो अपने लक्ष्य को पाने की ,दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने की।
अगर तुम्हारे सपने बड़े हैं तो तुम्हारी ज़िन्दगी में भी वो दौर आएगा जब लोग तुम्हे ताने देंगे , तुम पर हँसेंगे और ये भी कहेंगे कि तू ये नहीं कर सकता। और हो सकता है कि उनकी बातों में आके तू ये मान भी ले कि मैं ये नहीं कर सकता। पर यही बात अपने दिल पे हाथ रख के खुद से पूछना ,तो तेरी हर धड़कन यही कहेगी कि तू कर सकता है क्यूंकि अगर तुम इस काबिल नहीं होते तो इस ख्वाब को कभी संजोते ही नहीं।
मेरे दोस्त ! अगर तुम्हे अपने सपनो को पूरा करना है ,तो जो भी तुमने सोचा है और अगर तुम्हे ज़रा सा भी लगता है कि हाँ मई ये कर सकता हूँ तो उसे करो और इस दुनिया को मुँह तोड़ जवाब दो। सिर्फ तुम जानते हो तुम्हारे potential को ,तुम्हारी ज़िन्दगी कैसी होगी ये चुनने का हक़ इस दुनिया को मत दो , खुद परिभाषित करो अपनी सफलता से।
बचपन में हम सब को सिखाया जाता है कि ज़िद नहीं करनी चाहिए क्यूँकि उस वक़्त हम नादान होते हैं। पर बड़े होने पर इस ज़िद का मतलब बदल जाता है ,और अगर वो ज़िद सही दिशा में हो तो हम दुनिया बदल सकते हैं।
सपने सिर्फ देखने के लिए नहीं होते ,उन्हें पाने के लिए दिल से ढृढ़-निश्चय जरुरत होती है,विश्वास रखो खुद पर कि हाँ ! मैं ये कर सकता हूँ। दिखा दो इस दुनिया को कि तुम्हारा भी कोई वजूद है।
अपने अंदर एक ज़िद पैदा करो कुछ करने की ,कुछ पाने की भूख जगाओ खुद में। अपनी ज़िद से इंसान वो कर सकता है जो लोगों को असंभव लगता है ,पागलपन लगता है। ज़िद्दी लोगों ने ही इस दुनिया को ग़लत साबित कर ऐसे कारनामों को अंजाम दिया जो उन्हें असंभव लगते थे। अब्दुल कलम ,सचिन तेंदुलकर,दशरथ माँझी ,मैरी कॉम ,शहीद भगत सिंह ,ये उन लोगों के नाम हैं जिन्होंने अपनी ज़िद से इतिहास रच दिया।
ये ज़िद हर इंसान में होती है ,बस जरुरत है तो अपने comfort zone बाहर आने की। ज़िद करो अपनी आराम की ज़िन्दगी से बहार आने की अपने आप से लड़ने की। ज़िद करो अपने लक्ष्य को पाने की ,दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने की।
अगर तुम्हारे सपने बड़े हैं तो तुम्हारी ज़िन्दगी में भी वो दौर आएगा जब लोग तुम्हे ताने देंगे , तुम पर हँसेंगे और ये भी कहेंगे कि तू ये नहीं कर सकता। और हो सकता है कि उनकी बातों में आके तू ये मान भी ले कि मैं ये नहीं कर सकता। पर यही बात अपने दिल पे हाथ रख के खुद से पूछना ,तो तेरी हर धड़कन यही कहेगी कि तू कर सकता है क्यूंकि अगर तुम इस काबिल नहीं होते तो इस ख्वाब को कभी संजोते ही नहीं।
मेरे दोस्त ! अगर तुम्हे अपने सपनो को पूरा करना है ,तो जो भी तुमने सोचा है और अगर तुम्हे ज़रा सा भी लगता है कि हाँ मई ये कर सकता हूँ तो उसे करो और इस दुनिया को मुँह तोड़ जवाब दो। सिर्फ तुम जानते हो तुम्हारे potential को ,तुम्हारी ज़िन्दगी कैसी होगी ये चुनने का हक़ इस दुनिया को मत दो , खुद परिभाषित करो अपनी सफलता से।
कर निश्चय अपने सपने पूरे करने का,
मंज़िल खुद चल के आएगी तेरा आवाहन करने को।
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